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“जल है तो कल है जल के बिना जीवन मुश्किल है”
तो आज की इस पोस्ट में हम “Conservation of water in hindi” (जल संरक्षण) के ऊपर बात करेंगे, जो उन सभी विध्यार्थीओ को उपयोगी हो सकती है जो स्टैंडर्ड 5,6,7,8,9,10,11,12 और कई government exams में काम आ सकती हैं।
चलिए शुरू करते है, जल संरक्षण हिंदी में, जल संरक्षण क्या है, जल का संरक्षण कैसे करते है और जल संरक्षण की आवश्यकता क्यों है।
अनुक्रम
प्रस्तावना! (Introduction)
पानी सबसे महत्वपूर्ण पदार्थ में से एक है जो मनुष्य, पौधों और जानवरो के लिए ही नहीं बल्कि निर्जीव पदार्थों के लिए भी आवश्यक है। हम पानी के बिना अपने दैनिक का नेतृत्व नहीं कर सकते। पानी के बिना दुनिया के सभी जिव मर सकते है।
पानी केवल पीने के लिए ही नहीं बल्कि हमारे दैनिक जीवन के उददेश्य जैसे स्नान करने, खाना पकाने, सफाई करने और कपडे धोने के लिए भी आवश्यक है। हमें प्रतिदिन 5 से 6 लीटर पानी पीना चाहिए।
जल (पानी) क्या है?
जल या पानी एक आम रासायनिक पदार्थ है। जल का रासायनिक सूत्र “H2O“ होता है, इसमें दो hydrogen के अणु होते है और एक oxygen का अणु होता है।
जल तीनो अवस्थाओ में पाया जाता है ठोस, द्रव और गैस। पृथ्वी के लगभग 71% भाग पर जल विद्यमान है परंतु इसका 97% हिस्सा खारा है जो महासागरों सागरो में पाया जाता है।
जल एक रासायनिक पदार्थ होता है यह रंगहीन, गंधहीन एवं स्वादहीन होता है। इसको जिस बर्तन में रखा जाता है उसी का रूप धारण कर लेता है। जल का क्वथनांक 100 डिग्री सेंटीग्रेट होता है।
जल का महत्व (जल संरक्षण का महत्व Importance of Water Conservation)
- जल के बिना पृथ्वी पर कोई भी मनुष्य जीव जंतु जीवित नहीं रह सकता है।
- फसलों के उत्पादन और कृषि के लिए जल का इस्तेमाल किया जाता है।
- जल से बिजली तैयार की जाती है जो मनुष्य के लिए काफी उपयोगी होती है।
- जल का उपयोग मशीनों को ठंडा रखने के लिए किया जाता है।
- बिना जल के कोई पेड़ पौधा विकसित नहीं हो सकते है।
- पानी का उपयोग सिर्फ पीने के लिए ही नहीं बल्कि कपडे धोने के लिए, घर की सफाई के लिए, बर्तन धोने के लिए, खाना पकाने के लिए भी किया जाता है।
- वर्षा के रूप में जल का बहुत महत्व है वर्षा होने पर सभी पेड़ पौधे हरे हो जाते है और उन्हें नया जीवन प्राप्त होता है।
जल के स्रोत
जल एक मूल्यवान सम्पदा है, इससे हमारी मूलभूत आवश्यकताए पूर्ण होती है। पृथ्वी पर जीवन का आधार ही जल है। वनस्पति एवं जीव-जंतुओं के शरीर में जल का अंश प्रधान होता है। मनुष्य के शरीर में 70% प्रतिशत जल होता है। और पृथ्वी पर कुल 71% भाग जल से ढका हुआ है।
जल के चार स्रोत होते है :-
(1) पृष्ठीय जल
(2) भौम जल
(3) वायुमंडलीय जल
(4) महासागरीय जल
1. पृष्ठीय जल (Surface water)
पृष्ठीय जल क्या होता है: नदिओं, झीलों, तालाब जैसे छोटे-छोटे जलाशयों का जल पृष्ठीय जल कहलाता है।
2. भौम जल (Ground water)
भौम जल क्या होता है: बरसात के समय में में जल भूमि शोख लेती है, और यह जल चट्टानों के निचे जेक एकत्रित हो जाता है और इस जल को कुए और ट्यूबवेल के माध्यम से धरातल पर लाया जाता है जो हमारे लिए, कृषि के लिए एक महत्वपूर्ण होता है उसे भौम जल कहते है
3. वायुमंडलीय जल (Atmospheric water)
वायुमंडलीय जल: भाप (steam) के रूप में यह जल होता है यह जल उपयोग में नहीं होता है क्यों की यह बदलो के रूप में ऊपर होता है। तो यह जल किसी काम का नहीं होता है।
4. महासागरीय जल (Ocean water)
महासागरीय जल: महासागरो में जो जल पाया जाता है उसी जल को महासागरीय जल बोलते है। तो यह जल के चार प्रमुख स्त्रोत होते है जो हमने ऊपर देखे!
जल संरक्षण होता क्या है? Water conservation in hindi
जल संरक्षण का अर्थ Water conservation: यानि पानी (जल) को बर्बाद होने और प्रदूषित होने से रोकना या बचाना होता है आप लोगो ने सुना होगा की “जल ही जीवन है” और इस लिए पानी का हमारे जीवन में बहोत ही महत्व होता है।
पानी की बचत एक अनिवार्य आवश्यक्ता है क्योकि वर्षाजल हर समय उपलब्ध नहीं रहता अतः पानी की कमी को पूरा करने के लिए पानी का संरक्षण आवश्यक है।
जल संरक्षण की जरुरत क्यों है? Why is water conservation necessary?
एक सर्वे के अनुसार दुनिया में 189 देशो में भारत 13 वे स्थान पर है जो गंभीर जल संकट से गुजर रहा है और NITI आयोग की report यह बताती है की 2018 भारत में 600 million यानि की 60 करोड़ लोग जल संकट से गुजर रहे है।
और हर साल करीब 2 लाख लोग पीने योग्य पानी ना होने के कारण अपनी जान गवा रहे है। और इस लिए यह गंभीर मुद्दा हमें यह सोचने पर मजबुर करता है की हमें जल संरक्षण (conservation of water) पे ध्यान से सोचना चाहिए।
जल संकट के कारण Reasons of Water Crisis
आइए जानते है जल संकट के मुख्य कारण क्या है, भारत के विभिन्न क्षेत्रो में पानी के कमी के वास्तविक कारन, ऐसे कारण जो पर्यावरण संरक्षण के नाम पर व्यापर करने वाली माफिया गैंग ने आप तक पोहचने नहीं दिया।
हिन्दू परंपराओं में माना गया की जल स्त्रोत में जीवन बसता है। इस लिए अधिकतर मंदिरों, घाटों और वैदिक पाठशालाओ का निर्माण जलाशयो के किनारे हुआ पर अंग्रेजो को राजाओ द्वारा तालाबों, जलाशयों पर खर्च करना फायदेमंद नहीं लगा। उन्हें उससे कोई मतलब नहीं था की तालाबों से जलवायु और पर्यावरण पे क्या असर होता है।
नतीजा यह हुआ की पहले तो तालाब और जलाशयों को मिलने वाला राज्य का समर्थन कम हो गया।
आज पुरे भारत में पानी की समस्या एक व्यापक समस्या का रूप ले चुकी है। भारत में पानी की कमी पिछले 30-40 साल की तुलना में तीन गुना हो गई है।
देश की कई छोटी-छोटी नदिया सूखने के कगार पर है, इस के साथ ही कई नदियों के धारा प्रवाह में कमी देखि जा रही है। कुँए सूखने जा रहे है।
इस समस्या के सबसे बड़े करने में भू-जल (Ground water) का आवस्यकता से अधिक दोहरा global warming के कारन वर्षा का असामान्य वितरण तथा वर्षा जल का उचित जल संरक्षण न हो पाना जैसे अनेक कारण है।
जल संरक्षण के उपाय Water conservation methods in Hindi
हम सभी को जागरूक नागरिक की तरह “जल संरक्षण” का अभियान चलते हुए बच्चों और महिलाओं में जागृति लानी होगी।
1. स्नान करते समय बाल्टी म जल लेकर शावर या टब में स्नान की तुलना में बहोत जल बचाया जा सकता है।
2. पुरुष वर्ग दाढ़ी बनाते समय यदि टोटी बंद रखे तो बहुत जल बच सकता है।
3. रसोई में जल बाल्टी या टब में अगर बर्तन साफ करें, तो जल की बहुत बड़ी हानि रोकी जा सकती है।
4. टॉयलेट में लगी फ्लस की टंकी में प्लास्टिक की बोतल में रेत भरकर रख देने से हर बार १लिटर जल बचाने का कारगर उपाय उत्तराखंड जल संस्थान ने बताया है। इस विधि का तेजी से पचार-प्रसार करके पुरे देश में लागू करके बहुत जल बचाया जा सकता है।
5. पहले गावों, कस्बों और नगरों की सीमा पर या कही नीची सतह पर तालाब अवश्य होते थे, दुर्भग्य यह है की स्वार्थी मनुष्य ने तालाबो को पाट कर घर बना लिए और जल की आपूर्ति खुद ही बंद कर बेठा है। जरुरी है की गाँवो, कस्बों और नगरों में छोटे-बड़े तालाब बनाकर वर्षा जल का संरक्षण किया जाए।
6. नगरों और महानगरों में घरों की नालियों के पानी को गढ्ढा बनाकर एकत्र किया जाए और पेड़-पौधे की सिंचाई के काम में लिया जाए, तो साफ़ पेयजल की बचत अवश्य की जा सकती है।
7. अगर प्रत्येक घर की छत पर “वर्षा जल” का भंडार करने के लिए एक या दो टंकी बनाई जाए और इन्हे मजबूत जाली या फ़िल्टर कपडे से ढक दिया जाए तो हर नगर में “जल संरक्षण” किया जा सकेगा।
8. घरों, महोल्लों और सार्वजनिक पार्कों, स्कूलों, अस्पतालों, दुकानों, मंदिरो आदि में लगी नल की टोटिया खुली या तूती रहती है, तो अनजाने ही प्रतिदिन हजारो लीटर जल बेकार हो जाता है।
इस बर्बादी को रोकने के लिए नगर पालिका एक्ट में टोटियों की चोरी को दंडात्मक अपराध बनाकर, जागरूकता भी बढ़ानी होगी।
9. विज्ञानं की मदद से आज समुद्र के खारे पानी को पिने योग्य बनाया जा रहा है, गुजरात के द्वारका आदि नगरों में प्रत्येक घर में पेयजल के साथ-साथ घरेलु कार्यो के लिए खारे जल का प्रयोग करके शुद्ध जल का संरक्षण किया जा रहा है, इसे बढ़ाया जाए।
10. गंगा और यमुना जैसी बड़ी नदियों की नियमित सफाई बेहद जरुरी है। बड़ी नदियों के जल का शोधन करके पेयजल के रूप में प्रयोग किया जा सके, इसके लिए शासन-प्रशासन को लगातार सक्रिय रहना होगा।
11. जगलों का कटान होने से दोहरा नुकशान हो रहा है। पहला यह की वाष्पीकरण न होने से वर्षा नहीं हो पाती और दूसरा भूमिगत जल सूखता जाता है।
बढती जनसंख्या और औउद्योगीकरण के कारण जंगल और वृक्षों के अंधाधुंध कटान से भूमि की नमी लगातार कम होती जा रही है, इसलिए वृक्षारोपण लगातार किया जाना जरुरी है।
12. पानी का दुरपयोग हर स्तर पर कानून के द्वारा, प्रचार माध्यमों से कारगर प्रचार करके और विध्यालयो में पर्यावरण की ही तरह ‘जलसंरक्षण विषय’ को अनिवार्य रूप से पढ़ा कर रोका जाना बेहद जरुरी है।
अब समय आ गया है की केंद्रीय और राज्यों की सरकारे “जल संरक्षण” को अनिवार्य विषय बनाकर प्राथमिक से लेकर उच्च स्तर तक नई पीढ़ी को पढ़वाने का कानून बनाए।
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निष्कर्ष (Conclusion)
जल का हमारे जीवन में बहुत बड़ा महत्व है , इस लिए इसे जितना हो सके हमें बचाना चाहिए। हमें जल संरक्षण (Conservation of Water in Hindi) के नए नाकनीक निकालने होंगे जिससे भूमिगत जल को सरक्षित कर सकें।
नल को इस्तेमाल के बाद बंद कर देना चाहिए। बेवजह जल को बर्बाद नहीं करना चाहिए। हमें स्वयं ही जल के महत्व को समझकर अपने घर से इस मुहीम की शुरुआत करनी होगी जिससे हम जल को बचा सके साथ ही अपने बच्चों और आसपास के लोगों को भी जल के महत्व को समझना होगा।
इस प्रकार हम समझ गए की जल संरक्षण (Water conservation) हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है।
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