Akbar Badshah के बारे में हमने सबने किताबों में पढ़ा है जिसे हम अकबर महान के नाम से भी जानते है लेकिन आप में से बहुत कम लोग होंगे जो ये जानते हो कि उसे अकबर को महान कहे जाने के पीछे एक कारण है जिसकी वजह से अकबर बादशाह को इतिहास का एक महान सम्राट कहा जाता है।
तो चलिए इसी बारे में आज बात करते है और जानते है, Akbar badshah की जिदंगी से जुडी कुछ खास बातें जो हो सकता है आपको पता भी हो और कुछ ऐसी भी जो आपको नहीं पता हो तो चलिए बात करते है Akbar Badshah ka itihas hindi me और उनकी history से जुडी कुछ जानकारियों के बारे में –
अनुक्रम
Akbar Badshah ka Itihas Hindi me / अकबर बादशाह का इतिहास
Akbar badshah को असल में महान इसलिए नहीं कहा जाता कि उसका राज्य बहुत बड़ा था या फिर वह केवल एक कुशल सम्राट था और अगर हम इतना ही जानते है तो यह एक अधूरी सच्चाई है क्योंकि अकबर को महान कहे जाने के पीछे जो सबसे बड़ा कारण है उसकी “धार्मिक सहिष्णु “ होना |
असल में अकबर बादशाह से पहले जितने भी सम्राट हुए है या बाद में भी हुए है वो धार्मिक तौर पर बेहद कट्टर हुए है लेकिन Akbar badshah के मामले में ऐसा नहीं है | हालाँकि उसने बेहद कुशलता के साथ अपने सैन्य ताकत को बढाते हुए अपने राज्य का विस्तार किया और लोगो का परिचय मुस्लिम धर्म से करवाया जैसा कि हमने Srinagar History में पढ़ा था पर उसकी नीतियां धर्म के प्रति कट्टर नहीं थी और लोगो को धार्मिक आजादी थी |
अपने शासन के शुरुआत में Akbar थोडा अलग किस्म का था लेकिन समय के साथ उसमे परिपक्वता आ गयी और यही कारण है कि इतिहास उसे एक महान सम्राट के तौर पर याद रखता है |
Akbar ka Janm / अकबर बादशाह का जन्म
October 15, 1542 अमरकोट नाम की जगह, जो कि सिंध प्रदेश में पड़ती थी वहा Akbar का जन्म हुआ और केवल 14 साल की उम्र में ही उसे शासन मिल गया | अपने शासन काल में अकबर ने अपनी सैन्य शक्ति का भरपूर बढ़ावा किया और इतिहास में वह एक शानदार लीडर के तौर पर जाना जाता है क्योंकि उसकी सैन्य नेतृत्व की अद्भुत प्रतिभा थी |
अब ये बात करें कि Akbar को राजगद्दी कैसे मिली तो इस बारे में history कहती है कि अकबर चंगेज खान के वंशज थे और बाबर जो है वो मुग़ल सम्राज्य के पहले राजा थे और पिता हुमायूं को चूँकि शेर शाह सूरी ने युद्ध में हरा दिया था दिया था इसलिए उनसे राजगद्दी छीन गयी लेकिन 1555 में किसी तरह हुमायूं ने फिर से सत्ता हासिल कर ली पर कुछ ही दिन वह राज कर पाया क्योंकि उसकी मौत हो गयी थी जिसकी वजह से अकबर को राजगद्दी विरासत के तौर पर हासिल हुई |
अकबर का इतिहास हिंदी?
हालाँकि जिस समय Akbar Badshah को राजगद्दी मिली उस समय मुग़ल साम्राज्य के हाल कुछ ज्यादा अच्छे नहीं थे लेकिन जल्दी ही बैरम खान के साथ होने की वजह से अकबर ने अपने राज्य को स्थायित्व प्रदान किया |
विशेषकर बैरम खान ने अफगानों से उत्तरी भारत पर कब्ज़ा कर लिया और पानीपत की दूसरी लड़ाई में हिंदू राजा हेमू के खिलाफ सेना का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया। इस वफादार सेवा के बावजूद 1560 में अकबर ने साम्राज्य को पूर्ण नियंत्रण में कर लिया और बैरम खान के राज-प्रतिनिधि के पद को ख़ारिज कर दिया |
बादशाह अकबर का साम्राज्य का विस्तार ! (अकबर का शासन व्यवस्था?)
चूँकि अकबर एक चतुर राजा था और उसके साम्राज्य के विस्तार की बात करें तो उसकी मृत्यु तक उसका साम्राज्य उत्तर में अफगानिस्तान, पश्चिम में सिंध, पूर्व में बंगाल, और दक्षिण में गोदावरी नदी तक फैला था।
उसके साम्राज्य के इतने फैले होने और संगठित होने के पीछे एक कारण यह भी था कि Akbar ने जिन जिन प्रदेशों को अपने नियंत्रण में लिया वंहा के लोगो के प्रति उसके मन में ईमानदारी और न्यायपूर्ण भावना थी और जहा जहा उसने अपने प्रदेश का विस्तार किया तो अपने द्वारा हराए गये राजाओं के साथ भी उसके सम्बन्ध स्थापित किये और उनसे मोटा टैक्स वसूलने या उन्हें नियंत्रण में लेने की बजाय उसने एक केंद्रीय शासन प्रणाली को अपनाया जिसमे छोटे राजा अपने राज्यों के साथ उसकी रियासतों के तौर पर गिने जाते थे और उसके अधीन भी थे |
अकबर के बारे में यह कहा जाता है कि वह धार्मिक विचारों के प्रति उदार था और प्रतिभाशाली लोगो को ईनाम दिए जाने के लिए भी महशूर था | इन सभी कारणों की वजह से वह इतना कुछ कर पाया कि दूसरा कोई भी मुग़ल शासक नहीं कर पाया |
उसने दूसरे राजाओं की तरह हिन्दुओं को मुस्लिम बनने पर मजबूर नहीं किया और गैर-मुस्लिमों पर मतदान कर को खत्म करना, हिंदू साहित्य का अनुवाद करना और हिंदू त्योहारों में भाग लेना आदि के जरिये वह अपनी प्रजा के मन को जीतना चाहता था |
इसके साथ ही उसने हिन्दू राजाओं के साथ वैवाहिक गठबंधन भी बनाये जिसमे आप जोधा बाई के बारे में भी पढ़ते है और साथ ही उनके पिता और भाईओं को अपने दरबार में जगह दी और उनके लिए वही सम्मान स्थापित किया जो वो अपने मुस्लिम भाइयों के साथ करते थे जिसकी वजह से अकबर ने वह पुरानी प्रथा और कलंक को साफ़ कर दिया जिसमे मुस्लिम राजा हिन्दू राजाओ को हराकर उनकी बेटियों से शादी करके अपमानजनक स्थिति बना दिया करते थे |
1574 ने अकबर ने अपने टैक्स सिस्टम को सुधारते हुए एक केन्द्रीय व्यवस्था का निर्माण किया जिसमे सभी रियासतें अलग अलग तरह के टैक्स को कलेक्ट करने के बाद उसे केन्द्रीय प्रशासन को दे दिया करती थी जिसकी वजह से उनके पास धन संग्रह नहीं होने के बाद वह केंद्रीय प्रशासन पर ही निर्भर हुआ करती थी |
अकबर का व्यक्तिगत जीवन
Akbar के व्यक्तिगत जीवन की बात करें तो वह धार्मिक तौर पर बहुत ही जिज्ञासु था और अक्सर दूसरे धर्म के त्योहारों को अटेंड किया करता था | उसने 1575 में फतेहपुर सीकरी में एक दीवार वाले शहर को फ़ारसी शैली में डिजाइन किया था |
साथ ही उसने अपनी सहिष्णु विचारों के चलते आगरा में चर्च बनाने की भी अनुमति दे दी | हालाँकि उसके इस बोल्ड मूव को सराहना भी बहुत मिली लेकिन उस समय के कुछ लोगो ने अकबर को अधर्मी करार भी दिया था |
अपने अंतिम दिनों में उसने 1582 में एक नये पंथ “ दीन ए इलाही “ की स्थापना की जिसमे सभी धर्मो की शिक्षाएं और संकल्प शामिल थे लेकिन यह उतना सफल नहीं हो सका और 1605 में उसकी मौत के साथ ही ख़त्म भी हो गया |
अकबर ने क्या क्या बनवाया?
Akbar Badshah के पिता हुमायूं और दादा बाबर की तरह वह कोई कवि या डायरी लिखने वालों में से नहीं था और इतिहासकरों के अनुसार वह अनपढ़ था लेकिन उसने अपने राज्य में कला, संगीत और लेखन को प्रोत्साहन करने उन्हें सींचने का बेहतरीन काम किया है अकबर को जाना जाता है उसकी मुग़ल वास्तुकला के प्रेम के लिए जिसमे इस्लामिक, फारसी और हिन्दू कलाओं का भी मिश्रण है और साथ ही उसके दरबार की कुछ खास लोगो के लिए जिसमे बहुत शानदार कलाकार, इंजिनियर, संगीतज्ञ और दर्शन-शास्त्री शामिल थे |
अंतिम शब्द !
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